Wednesday, 13 January 2016



आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों 

शुभकामनाएँ !


मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो हमारे देश के हर प्रान्त में किसी न किसी रूप में मनाया ही जाता है. पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोडकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, अर्थात इस दिन से सूर्य की उत्तरायण की गति प्रारंभ हो जाती है. यह त्यौहार भारत के अलग -अलग हिस्सों में विभिन्न  तरीकों से मनाया जाता है.


पंजाब और हरियाणा में यह लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है तो उत्तर-प्रदेश में इस त्यौहार में दान की प्रमुखता है जबकि इलाहबाद में यह माघ मेले के रूप में प्रसिद्द है. बंगाल में इस त्यौहार में स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा है . गंगा सागर मेले से हम परिचित हैं ही यह भी मान्यता है कि इसी दिन गंगाजी भागीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं.गंगा सागर में लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं. यह यात्रा पहले बहुत कष्टकारी होती थी और ऐसा कहा जाता है "सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार".


महाराष्ट्र में इस दिन लोग एक दुसरे को तिल गुड़ खिलातें है और तिल गुड़ देते समय बोलते है "लिळ गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला" मतलब तिल गुड खाओ और मीठा मीठा बोलो. गुजरात और शेष भारत मैं भी आज के दिन  बच्चे - बड़े सभी पतंग उड़ाने के लिए उत्साहित रहते हैं. आसमान में आज के दिन  रंग बिरंगे पतंग उड़ते हुए जरुर दिखाई देंगे .



असम में इस त्यौहार को माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है .बिहार में भी मकर संक्रांति के दिन लोग भगवान को तिल गुड प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं और माताएं अपने बच्चो को तिल गुड देकर आशीर्वाद देती हैं.हमारे यहाँ तिल के अतिरिक्त भी विभिन्न तरह के लड्डू बनाये जाते हैं. यह रही मेरे हाथ से बनी लड्डू की तस्वीर ....





मकर संक्रांति के दिन हम देखते हैं कि भारत के हर हिस्से में कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है और छोटे बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस तरह से हम  भारत में "अनेकता में एकता" की झलक देख सकते  है.एक बार फिर से आप सभी को मकर संक्रांति ,लोहड़ी ,बिहू ,पोंगल .....आदि त्योहारों की शुभकामनाएँ.














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